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होली - लेखनी प्रतियोगिता -18-Mar-2022

होली रे होली आई रंगों की होली
देखो हँसती-खेलती निकली टोली।

दोस्तों के संग मौज-मस्ती करती
हुल्लड करने से बिलकुल न डरती।

भैया-भाभी जीजा-जीजी छूट न जाए
रंग लगाओ यूँ कोई दिल टूट ना जाए।

अमीर-गरीब सबकी होली का रंग एक
ईर्ष्या-द्वेष भेदभाव  दिल से दो फेक ।

 प्यार, स्नेह, समर्पण से लगाएँ रंग
 सद्भावना सद्विचार की पिलाए भंग।

 सतरंगी फुहार में भीग जाए सारा अंग
 जाति-धर्म सब छोड़ प्रेम से खेलें रंग।

 हो गाँव की गोरी और शहर की छोरी
रंग दें सबको कोई बचे न कोरी-कोरी।

आओ भर लें तिरंगे रंगों से पिचकारी
भिगो दें आज कपड़े मार  तेज़ धारी।

कपड़ों पर सुंदर तिरंगा उभर आए
होली ऐसी गणतंत्र की शान बढ़ाए।

आज त्रुटियाँ जला नववर्ष आरंभ करें
अंतिम उत्सव इस वर्ष का संग मनाएँ।

डॉ. अर्पिता अग्रवाल

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9 Comments

Punam verma

19-Mar-2022 02:34 PM

Bahut sundar

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Shrishti pandey

19-Mar-2022 09:21 AM

Very nice

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Dr. Arpita Agrawal

19-Mar-2022 01:56 PM

शुक्रिया सृष्टि जी 😊

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Swati chourasia

19-Mar-2022 08:00 AM

बहुत सुंदर रचना 👌

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Dr. Arpita Agrawal

19-Mar-2022 09:09 AM

हार्दिक आभार स्वाति जी 😊

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